November 15, 2024

JK KHABAR NOW

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आखिर महाशिवरात्रि का उपवास क्यों रखा जाता है आइए जानते हैं?

भारत में धर्म से जुड़े हुए काफी त्योहार मनाए जाते हैं। भारत में काफी सारे ऐसे त्यौहार भी हैं जिनको कुछ विशेष धर्म ही मनाते हैं तो काफी सारे ऐसे त्योहार भी मौजूद हैं जिन्हें पूरा देश मनाता है। ऐसा ही एक त्यौहार महाशिवरात्रि है।महाशिवरात्रि भगवान शिवजी से जुड़ा हुआ त्योहार है और भगवान शिव को पूरे देश में अलग-अलग रूपों में स्वीकारा गया है। पूरे देश में महाशिवरात्रि का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ‘महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि हिंदू त्योहार है जो कि महादेव शिव से जुड़ा हुआ है। शिवरात्रि का मतलब भी ‘शिव की रात्रि‘ ही होता हैं। शिवरात्रि को लेकर पूरे देश भर में अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित है। इस दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है और देश भर में अनेक जागरण होते हैं।

अलग-अलग ग्रंथों में महाशिवरात्रि की अलग-अलग मान्यता मानी गई है। कहा जाता है कि शुरुआत में भगवान शिव का केवल निराकार रूप था। भारतीय ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर आधी रात को भगवान शिव निराकार से साकार रूप में आए थे।इस मान्यता के अनुसार भगवान शिव इस दिन अपने विशालकाय स्वरूप अग्निलिंग में प्रकट हुए थे। कुछ हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इसी दिन से ही सृष्टि का निर्माण हुआ था। ऐसी मान्यता हैं की इसी दिन भगवान शिव करोड़ो सूर्यो के समान तेजस्व वाले लिंगरूप में प्रकट हुए थे।
भारतीय मान्यता के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सूर्य और चंद्र अधिक नजदीक रहते हैं। इस दिन को शीतल चन्द्रमा और रौद्र शिवरूपी सूर्य का मिलन माना जाता हैं। इसलिए इस चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता हैं।कहा जाता हैं की इस दिन भगवान शिव प्रदोष के समय दुनिया को अपने रूद्र अवतार में आकर तांडव करते हुए अपनी तीसरी आंख से भस्म कर देते हैं। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही पार्वती और शिव की शादी का दिन माना जाता हैं।

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भगवान शिव को जितना अधिक सांसारिक लोग मानते हैं उससे कहीं ज्यादा अधिक आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले लोग भी मानते हैं। भगवान शिव को एक संहारक से कही पहले एक ज्ञानी माना जाता हैं। योगिक परंपरा के अनुसार शिव कोई देगा नहीं बल्कि आदि गुरु है जिन्होंने सबसे पहले ज्ञान प्राप्त किया और उस ज्ञान का प्रसारण किया।जिस दिन उन्होंने ज्ञान की चरम सीमा को छुआ और वह स्थिर हुए और उस दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता हैं।इसके अलावा वैरागी लोग भी भगवान शिव को एक वैरागी ही मानते हैं जो सांसारिक जीवन से दूर है। कुछ लोगों की मान्यता के अनुसार भगवान शिव एक सत्य रूप है और यह पूरा संसार केवल मोहमाया है। विशेष आराधना के माध्यम से हम सभी लोग इस मोह माया से दूर होकर सत्य रूप को प्राप्त कर सकते हैं और शिव में मिल सकते हैं।