यूपी के दो दिवसीय दौरे पर आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पूर्वांचल को एक से दूसरे छोर तक छू गए। इस दौरान संकेतों और मंच से उन्होंने भाजपा का पूरा चुनावी एजेंडा बताया । प्रदेश में जिन्ना को लेकर छिड़ी बहस के बीच शाह ने बाबा विश्वनाथ की धरती पर पहले पंडित मदन मोहन मालवीय को याद किया। फिर काशी के कोतवाल कालभैरव का आशीर्वाद लिया। आजमगढ़ में जैम का मतलब जिन्ना, आजम और मुख्तार समझाते हुए अखिलेश यादव को घेरा। तो बस्ती में खेलकूद के बहाने युवाओं पर फोकस किया। साल 2014, 2017 और 2019 में मिली सफलता के बाद 2022 के यूपी चुनाव की कमान फिर बीजेपी ने चुनावी चाणक्य अमित शाह के हाथ सौंपी है। शाह ने पिछले अनुभवों के आधार पर काशी से गत दिवस चुनावी शंखनाद किया। मिशन-2022 को लेकर यह पहला मौका था जब सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारियों से सीधी चुनावी बात हुई। इस दौरे से साफ हुआ कि पार्टी हिन्दुत्व के एजेंडे, मोदी-योगी के नाम और काम पर यूपी के समर में उतरेगी। युवा मतदाता फिर चुनाव अभियान के केंद्र में रहेंगे।शाह ने कहा कि पिछली सफलताओं की सूत्रधार यही सब टीम थी। फिर कर दिखाना है। सत्ता से आपको 30-35 साल कोई हटाने वाला नहीं है। विधानसभा प्रभारियों को शक्ति केंद्र और बूथ पर ताकत झोंकने के अलावा हर रूठे को मनाने का जिम्मा सौंपा।जीत का गणित भी शाह बेहद सरल अंदाज में समझा गए। पूछा कि प्रदेश में कितने कार्यकर्ता हैं। जवाब मिला करीब 50 लाख। बोले इसका मतलब करीब दो करोड़ वोटर। अब यदि इनमें से हर व्यक्ति थोड़ा-थोड़ा प्रयास कर लेता है तो चार से पांच करोड़ वोट हो जाएंगे। इतने वोट लाए तो 300 छोड़िए 350 से पार सीटें आएंगी। शाह ने काशी मॉडल के जरिए एजेंडा भी समझा दिया। सपा के गढ़ रहे आजमगढ़ में राज्य विश्वविद्यालय के शिलान्यास के मौके पर शाह के निशाने पर सपा मुखिया अखिलेश यादव रहे। कानून व्यवस्था में सुधार के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर सराहना करते हुए शाह ने आजमगढ़ को मच्छर और माफिया से मुक्त कराने का प्रमाणपत्र भी योगी सरकार को थमाया। शाह ने जहां अखिलेश को निशाने पर रखा, वहीं उनकी नजर राजभर वोटों पर रहीं।
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